मन क्यों बहके रे बहके तेरी चाहत में ? मिले ख़ुशी तुझे देखे बगैर तेरी आहट से। मन क्यों बहके रे बहके तेरी चाहत में ? मिले ख़ुशी तुझे देखे बगैर तेरी आहट से।
किनारे तो बस किनारे ही थे सर से पांव तक किनारे । किनारे तो बस किनारे ही थे सर से पांव तक किनारे ।
बोनस के पैसे से वह कार लेने का मन बना चुका था। बोनस के पैसे से वह कार लेने का मन बना चुका था।
मुझे याद आते हैं वो पल, जो गुजारे थे तेरे संग कल। मुझे याद आते हैं वो पल, जो गुजारे थे तेरे संग कल।
कभी कभी हम औरतें अपने घर के लिए क्या कुछ नही सोचती? कभी कभी हम औरतें अपने घर के लिए क्या कुछ नही सोचती?
क्या खूब है ये शाम भी अदभुत भी है वीरान भी। क्या खूब है ये शाम भी अदभुत भी है वीरान भी।